
अगर उज्जवल भविष्य के लिए वर्तमान का जागृत होना अनिवार्य है, तो जागृत वर्तमान के लिए अतीत का ज्ञान होना भी अनिवार्य है।
भारतवर्ष का इतिहास और भारतीय सभ्यता चिरकाल से हमारा मार्गदर्शन करते आ रहे हैं। इसी सन्दर्भ में प्रस्तुत है यह कविता, जो भारत के इतिहास और संस्कृति को याद करने की ओर प्रयासरत है। आशा है यह अपने उद्देश्य से न्याय कर पाएगी।
गाथा हिंदुस्तान की...
धरती अम्बर चंदा तारे,
हैं प्रत्यक्ष साक्षी सारे,
हर पल हर क्षण कहें कहानी,
भारत के उत्थान की।
नदिया पर्वत माटी बोले, गाथा हिंदुस्तान की।
दिशाएँ वेद ध्वनि से गूँजें,
तेज बुद्ध का हृदय को सींचे,
नानक के पैग़ाम से प्रेरित,
राहें गुरुओं के बलिदान की।
नदिया पर्वत माटी बोले, गाथा हिंदुस्तान की।
इस मिट्टी की महिमा अनुपम,
जन्मे जहाँ विद्वान प्रखरतम,
रामनुजम, सुश्रुत, आर्यभट्ट,
प्रेरणा सकल संसार की।
नदिया पर्वत माटी बोले, गाथा हिंदुस्तान की।
सेंध लगी जब भी सीमा पर,
हुई प्रदर्शित विश्व पटल पर,
अदम्य साहस और शूरता,
रणजीत और चौहान की।
नदिया पर्वत माटी बोले, गाथा हिंदुस्तान की।
जब जन-गण ने संघर्ष की ठानी,
तब हुई रगों में लहर रवानी,
प्रताप, शिवाजी, लक्ष्मी के,
अथक, निर्भय संग्राम की।
नदिया पर्वत माटी बोले, गाथा हिंदुस्तान की।
देश प्रेम की जली थी लौ,
सुभाष के आव्हान से जो,
अनंत काल तक स्तवन करेगी,
भगत, उधम, आज़ाद की।
नदिया पर्वत माटी बोले, गाथा हिंदुस्तान की।
करता है इतिहास बयां,
प्रबल शौर्य की भव्य कथा,
सरहद पर हंसते हंसते हर इक,
शीश हुए कुरबान की।
नदिया पर्वत माटी बोले, गाथा हिंदुस्तान की।
- डॉ. प्रशांत भट्ट
Here is the video of this poem, posted by our partner YouTube channel KidsLounge...सिंधुघाटी सभ्यता विश्व सभ्यता के उद्गम स्थलों (Cradle of civilization) में से एक है, जिसने भारत को ही नहीं, अपितु समस्त संसार को सभ्यता प्रदान की। वैदिक काल ने हमें वेदों का ज्ञान दिया, जो आज भी हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं। गुप्ता साम्राज्य से भारत के स्वर्णिम युग की शुरुआत हुई, जिसके दौरान, गणित, खगोल, विज्ञान और साहित्य के क्षेत्र में पूरे विश्व की प्रगति हुई। शून्य और दशमलव प्रणाली ने विज्ञान को एक नया आयाम दिया। बौद्ध और जैन धर्म की स्थापना ने आध्यात्म की एक नयी लहर उत्पन्न की।
नवीं सदी से भारत की समृद्धि विदेशी ताक़तों के लिए प्रलोभन बनने लगी, और भारत में विदेशियों के आक्रमण और लूट का सिलसिला शुरू हुआ। तेरहवीं सदी तक भारत में तुर्कों की दिल्ली सल्तनत स्थापित हो गयी, जिसके बाद मुग़ल सल्तनत और तत्पश्चात ब्रिटिश शासन के दौरान भारतवासियों का दमन और शोषण हुआ। यद्यपि ये 750 वर्ष भारत के इतिहास के दुर्भाग्यपूर्ण वर्ष रहे, परन्तु इस काल ने भारत और विश्व को कई सुखद और निर्णायक उपहार भी दिए। भक्ति लहर (Bhakti Movement), सूफी लहर (Sufism) का पुनः प्रवर्तन और सिक्ख धर्म की स्थापना उनमे प्रमुख हैं। इस काल में भारतीयों ने दमन के विरुद्ध संघर्ष किया, जिसमें राजपूतों, मराठों और सिक्ख साम्राज्य का योगदान अतुलनीय रहा। इन सबसे प्रेरित होकर देश के स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी गयी, जिसका आरम्भ 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से हुआ। उसके बाद स्वंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों ने अपना जीवन देश को समर्पित कर दिया, तथा राजनेताओं ने अपने कुशल नेतृत्व से अंततः भारत में स्वराज का सूर्योदय संभव किया।
अपने इतिहास और अतीत को स्वतः जानना, और उसे निष्पक्ष और सहज रूप से अपनाना महत्वपूर्ण है क्योंकि यही एक गर्वान्वित वर्तमान और उज्जवल भविष्य का आधार है।
जय हिन्द।
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